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Tetanus / टिटेनस लक्षण कारण और उपचार

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धनुस्तंभ  ( : Tetanus /  टिटेनस ) एक संक्रामक रोग   है, जिसमें कंकालपेशियों को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका-कोशिकाएँ प्रभावित होतीं हैं। कंकालपेशियों के तंतुओं (फाइबर) के लम्बे समय तक खिंचे रह जाने से यह अवस्था प्रकट होती है। यह रोग मिट्टी में रहनेवाले जीवाणु  से घावों के प्रदूषित होने के कारण होती है। इस बैक्टीरिया को बैक्टीरियम क्लोस्ट्रीडियम कहा जाता है। यह मिट्टी में लंबी अवधि तक छेद बना कर दीमक के समान रह सकता है। जब कोई घाव इस छेदनुमा घर में रहनेवाले दीमक रूपी बैक्टीरिया से प्रदूषित होता है, तो टेटनस बीमारी पैदा होती है। जब ये बैक्टीरिया सक्रिय होकर तेजी से बढ़ने लगते हैं और मांसपेशियों को प्रभावित करनेवाला जहर पैदा करने लगते हैं, तो टेटनस का संक्रमण फैलता है। टेटनस बैक्टीरिया पूरे वातावरण में, आमतौर पर मिट्टी, धूल और जानवरों के मल में पाया जाता है। हमारे शरीर में बैक्टीरिया के प्रवेश  के रास्ता आमतौर पर फटे हुए घाव होता है, जो जंग लगी कीलों, धातु के टुकड़ों या कीड़ों के काटने, जलने या त्वचा के फटने से बनता है। लक्षण 300px\धनुस्तम्भ (टेटेनस) से ग्रसित नवजात शिशु सामान्य टेटनस शरी

योग द्वारा सर्दी-जुकाम से मुक्ति | Sardi jukam ka ilaj hindi me

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योग द्वारा सर्दी-जुकाम से मुक्ति | Sardi jukam ka ilaj hindi me 1 नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम-विलोम श्वसन तकनीक) नथुनों को क्रमश: बदल कर साँस लेने से सर्दी से अवरुद्ध नासिका द्वार खुल जाते है जिससे फेफड़ों को अधिक मात्रा में आक्सीजन प्राप्त होती है|यह प्राणायाम तनाव से मुक्ति व शरीर को विश्रान्ति प्रदान करने भी सहायक है|सर्दी से छुटकारा पाने के लिए इसके ७-८ चक्र का दिन में २ -३ बार अभ्यास करे | 2 कपालभाति प्राणायाम इस प्राणायाम में साँस को नथुनों पर दबाब बनाते हुए जोर से छोड़ते है| इसके अभ्यास से हमारी श्वसन नलिका में उपस्थित अवरोध खुल जाते है जिससे साँसों का आवागमन आसान हो जाता है|इसके अतिरिक्त इस प्राणायाम से हमारा नाड़ीतंत्र सशक्त होता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है तथा मन प्रसन्नरहता है|इस प्राणायाम के २-३ चक्रों का अभ्यास दिन में दो बार करने से सर्दी में राहत मिलती है तथा शरीर उर्जावान बनता है| 3 हस्तपादासन खड़े होकर आगे की तरफ झुकने से रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ता है|यह क्रिया सायनस को साफ़ करती है|इस प्राणायाम से हमारे नाड़ीतंत्र

कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया , कपालभाति प्राणायाम का महत्व

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कपाल= मस्तक (सिर) ; भाती= चमकने वाला; प्राणायाम = साँस लेने की प्रक्रिया यह एक शक्ति से परिपूर्ण (श्वाँस के द्वारा किये जाने वाला) प्राणायाम है, जो आपका वज़न कम करने में मदद करता है और आपके पूरे शरीर को संतुलित कर देता है। कपालभाति प्राणायाम का महत्व जब आप कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपके शरीर से ८०% विषैले तत्त्व बाहर जाती साँस के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं| किसी भी तंदुरस्त व्यक्ति को उसके चमकते हुए माथे (मस्तक या सिर) से पहचाना जा सकता है। कपालभाति प्राणायाम की उचित व्याख्या है, "चमकने वाला मस्तक” कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया । How To Do Kapalbhati Pranayama अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ। अपने हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटनों पर रखें। एक लंबी गहरी साँस अंदर लें। साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे। अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें। पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पे

Surya Namaskara (frist stap yoga) / सूर्य नमस्कार (STAP frist योग)

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Surya means Sun and Namaskara means salutation. It is basically salutating the Sun through postures. Surya Namaskara is a series of 12 physical postures. These postures stretch various muscles and spinal column and give flexibility to the whole body. Let us perform Surya Namaskara by following the steps given below: 1. Stand erect with feet together. Join the palms together in front of the chest in a namaskara mudra. Remain in this posture for a few seconds. 2. Inhaling, raise both arms above the head and slightly bend trunk backward. Remain in this posture for a few seconds. सूर्य का मतलब सूर्य और Namaskara का मतलब अभिवादन। यह है मूल रूप से आसन के माध्यम से सूर्य salutating। सूर्य नमस्कार 12 शारीरिक मुद्राओं की एक श्रृंखला है। इन मुद्राओं विभिन्न मांसपेशियों और स्पाइनल कॉलम में खिंचाव और पूरे शरीर के लिए लचीलापन देते हैं। हमें का पालन करके सूर्य नमस्कार प्रदर्शन करते हैं कदम नीचे दिए गए: 1. खड़े एक साथ पैर के साथ खड़ा करना। हथेलियों में जुडें एक साथ एक namaskara में छाती के

शीर्षासन के फायदे और करने की विधि

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योग आसन का सबसे महत्वपूर्ण आसन है शीर्षासन। इस योग आसन में सिर के बल इंसान खड़ा होता है। और शरीर का सारा भार सिर और हाथों पर रहता है। शुरू.शुरू में इस आसन को आप दीवार के सहारे कर सकते हैं। एैसा करने से गिरने का डर नहीं रहता है। आप इस आसन को दूसरे इंसान के सहारे भी कर सकते हो। थोड़े ही दिनों में आप अपने आप शीर्षासन को आसानी से कर सकते हो। शीर्षासन में सिर के बल खड़ा होना पड़ता है इसलिए अपने सिर के नीचे गुदगुदे या मुलायम कपड़े को रख सकते हो। सीधा जमीन पर सिर रखने से मस्तिष्क पर गलत असर पड़ सकता है। आइये आपको बाताते हैं शीर्षासान करने का तरीका और इससे मिलने वाले फायदों के बारे में। for more info click here